Tuesday, December 15, 2009

स्वामी ललितानंद महाराज प्रवचनमाला भाग - 3- शब्दै मारा गिर पड़ा








बाबा स्वामी ललितानंद महाराज




प्रिय भक्तों,
हमारे इस  प्रवचन की तीसरी माला में आपका हार्दिक स्वागत है।


आज हम "शब्द" पर बात करते हैं, ईश्वर अपनी बात और मनोभावों को व्यक्त करने के लिए वाणी का अनुपम उपहार दिया है,  इस उपहार के लिए हम परम पिता परम पिता परमेश्वर को धन्यवाद देते हैं, और उनके प्रति कृतज्ञता प्रगट करते है, 


शब्द की महिमा अपरम्पार है, कहा गया हैं न "बातन हाथी पाईये और बातन हाथी पांव" मुंह से निकला हुआ शब्द कभी व्यर्थ नहीं जाता और जब शब्द मुंह से बाहर निकल जाता है तो वह अपना प्रभाव उत्पन्न कर परिणाम भी देता है. यह परिणाम हमें कभी प्रत्यक्ष रूप से और कभी अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त होता  ही है. 


इसी लिए हमारे मनीषियों ने कहा है, "सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, अप्रियम सत्यं  न ब्रूयात" अगर आपको सत्य भी कहीं कहना पड़े तो उसे प्रियता के साथ कहें क्योंकि सदा से सत्य कहना,बोलना और सुनना हमेशा कठिन रहा है.  


हथियार का घाव भर जाता है लेकिन शब्द की मार का घाव नही भरता है. 


"ये वाणी वाण ह्रदय को छलनी कर देते हैं, सत्य बहुत तीखा होता है, सोच समझ कर बोलो"


इसलिए भक्तों सोच समझ कर चिंतन करके बोलना आवश्यक है. मोल तोल के बोलने वाला हमेशा सुखों को प्राप्त  करता है और कटु वचन कहने वाला व्यक्ति स्वयं ही संतापों से घिर जाता है, इसलिए हमें बहुत ध्यान से बोलना चाहिए,  


यही शब्द ही शत्रु और मित्र बनाते हैं, इस लिए भक्तों हमें उस कटु वाणी और शब्दों से बचना चाहिए जो संतापकारी हैं, जो शब्द हम अपने लिए सुनना नहीं चाहते वे शब्द हम दूसरों को कहने से बचें तो अवश्य ही हमारे जीवन में एक नए आनंद का संचार होगा


हमारे संतों ने शब्द की महिमा का बखान किया है उस पर अमल करके आप इस चराचर जगत के आनंद को प्राप्त कर सकते हैं.और इसपर मनन करके परम शांति को प्राप्त कर सकते हैं। 




आज बस इतना ही, ॐ ॐ  शांति शांति शांति,



शब्दै  मारा   गिर      पड़ा,    शब्दै      छोड़ा     राज.
जिन्ह-जिन्ह  शब्द विवेकिया,तिन्ह का सरिगो काज .


एक शब्द गुरु देव का, ता का अनंत विचार
थाके  मुनि  जन  पंडिता,   बेद ना पावे पार


शब्द हमारा तू शब्द का, सुनि मति जाहू सरक 
जो चाहो निज सुख को, तो शब्द ही लेहु परख 


शब्द बिना सुरति आंधरी,कहा कहाँ को जाय 
द्वार ना पावे शब्द का, फिर फिर भटका खाय  





स्वामी ललितानंद महाराज जी

  
आप सभी उपस्थित भक्तों को  स्वामी ललितानंद जी महाराज का आशीष ।

  



18 comments:

  1. बहुत अच्छा प्रसंग। प्रेरक। जय हो प्रभू।

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  2. यही शब्द ही शत्रु और मित्र बनाते हैं, इस लिए भक्तों हमें उस कटु वाणी और शब्दों से बचना चाहिए जो संतापकारी हैं, जो शब्द हम अपने लिए सुनना नहीं चाहते वे शब्द हम दूसरों को कहने से बचें तो अवश्य ही हमारे जीवन में एक नए आनंद का संचार होगा,

    जय हो स्वामी ललितानंद जी महाराज की. आज चारों तरफ़ यही शब्द वाण चल रहे हैं, हृदय दग्द और मन सतंप्त है. ऐसे मे आपकी अमृतमयी वाणी मन को बडी तसल्लीदायक है.

    जय हो स्वामीजी महाराज की.

    रामराम.

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  3. भूल सुधार :

    दग्द = दग्ध

    पढा जाये.

    रामराम.

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  4. हथियार का घाव भर जाता है लेकिन शब्द की मार का घाव नही भरता है.

    -सत्य वचन, महाराज!!


    जय हो स्वामी ललितानन्द की.

    रचना रुपी प्रवचन के माध्यम से बहुत बढ़िया सीख..जय हो!!

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  5. कटु वचन कहने वाला व्यक्ति स्वयं ही संतापों से घिर जाता है
    बाबा जी, आपके सद्वचन तो चराचर जगत के कल्याण के लिए हैं, सुबह-सुबह मन प्रशन्न हो गया। जय हो बाबाजी की।

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  6. जय हो स्वामी ललितानंद जी महाराज की!

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  7. बेद ना पावे पार, महाराज आपने तो सोचने पर मजबूर कर दिया सबको, आपके वचन सुनकर शायद ब्लागस में कचरा भरने वालों को कुछ सदबुद्धि प्राप्त हो तो अच्छा हो.

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  8. सत्य वचन..... परभू ... सत्य वचन.... हम अभिभूत हूँ.....


    (अपना हर प्रकार का गंडा-तावीज़, प्लास्टिक का रुद्राक्ष(जिसको हम असली कह कर बेचते हैं)हर प्रकार का मूत्र (गौ से लेकर मानव)बिकवाने के लिए, संपर्क करियेगा. Guaranteed sales..... )

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  9. हमने भी यह प्रवचन सुन अपने हिस्से का पुण्य-लाभ अर्जित कर लिया । आभार ।

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  10. ॐ ॐ शांति शांति शांति

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  11. सत्य वचन ॐ ॐ शांति शांति शांति

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  12. बाबा जी,

    कड़की ज़्यादा हो गई है, सोच रहा हूं आपका अपने शहर में एक कथा-वाचन कार्यक्रम करा के दो-चार पैसे ही कमा लूं...घोड़ा, तमंचा, रामपुरी सब तैयार रखूंगा...ज़रा किसी ने शुभ काम में टंगड़ी अड़ाने की कोशिश की नहीं कि वहीं
    कलटी कर देंगे...

    जय हिंद...

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  13. भज गोविन्दम....भज गोविन्दम!!!!!

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  14. "अगर आपको सत्य भी कहीं कहना पड़े तो उसे प्रियता के साथ कहें क्योंकि सदा से सत्य कहना,बोलना और सुनना हमेशा कठिन रहा है. "
    बिल्कुल सत्य है...

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  15. bahut khub yahaan prawachan chal rahen !! chalo kuchh to bhalaa hogaa!!! maharaaj ki jay!!!

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  16. स्वामी ललितानंद महाराज
    बाबाश्री ताऊआनंद महाराज

    और परम श्रधेय

    श्री श्री १००८ बाबा समीरानन्द जी
    आपको सबको भक्त महफूज़ का परनाम.... पांय लागिन.....

    एंट्री पास दे दीजिये.....

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  17. जय हो... आश्रम में आये सभी भगतों की..

    संत्संग आनददायक रहा.

    अलख निरंजन

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