Sunday, December 6, 2009

बाबा ताऊआनंद महाराज प्रवचनमाला -1

बाबाश्री ताऊआनंद महाराज
गुरुदेव के चरणों मे दंडवत करते हुये मैं बाबाश्री ताऊआनंद आपका इस प्रवचनमाला मे हार्दिक स्वागत करता हूं.
प्रिय आत्मन,
सब कुछ पुराना होने से ही बेहतरीन नही हो जाता है और ना नया होने से ही कोई कमतर होता है. समझदार प्राणी दोनो को जांच परखकर ही किसी एक का अनुसरण करता है. जबकि मुर्ख प्राणि दूसरों की देखा देखी अनुसरण करता है. यानि वह भेड चाल से चलता है.
आज के लिये इतना ही.

11 comments:

  1. Amrit ras varsha ! aho bhaaaag , dhanya, dhanya !Baba ji jindabaad.

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  2. सत्य वचन बाबा !
    हम तो किसी का भी अनुसरण उसे पुरे समझने के बाद ही करते है अब देखिये न कि इतने बाबा लोग है पर गुरु आपको ही मान रहे है |

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  3. सत्य वचन. हम भी अभी बाबाजी को परखेंगे.. :)

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  4. जय हो बाबा जी की। आज हमने भी बाबा जी की पोल खोली है है जरा सम्भल कर चलियेगा

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  5. मुख्य महंत जी के प्रवचन सुनकर मन प्रसन्न हुआ.

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  6. जी, बाबा, अभिनंदन है।

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  7. सत्य वचन महाराज्!!
    वैसे आजकल बाबा लोगों के ग्रह कुछ अनुकूळ नहीं चल रहे है.... तनिक जरा संभल कर :)

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