प्रिय भक्तों,
आज प्रवचन माला का दूसरा दिन है.आपका हार्दिक स्वागत है। भक्तों की उपस्थिति दिनों-दिन बढ़ते रही है. लगता है अब आगे के प्रवचनों में पंडाल का विस्तार करना पड़ेगा. आपकी विहंगम उपस्थिति से हम प्रफ़ुल्लित हैं.
उपस्थित सज्जनों और सन्नारियों और प्यारे बच्चा लोगों को आशीर्वाद.
बच्चा लोगों इस दुनिया में नकली ढोंगी बाबा लोगों का जाल बढ़ता जा रहा है और असली संतों को भी इसका नुकसान उठाना पड रहा है. ये नित नए विवादों को जन्म देते है, जबकि संतों का काम है समाज में सौहाद्र स्थापित करके एक आनंदमयी वातारवरण का निर्माण करना.
अब प्रश्न ये उठता है कि असली-नकली की पहचान कैसे हो?
धार्मिक श्रद्धा और विश्वास के कारण हम गुरु तो बना लेते हैं, लेकिन बाद में फंस जाते हैं, इस लिए कहा गया है" पानी पियो छान कर, गुरु बनाओ जान कर", यह अति आवश्यक है, नहीं तो "लोभी गुरु लालची चेला दोनों खेले दांव, भाव सागर में डूबते, बैठ पत्थर की नाव" दोनों ही डूबे,
इसलिए भक्तों एक बात गांठ बांध लो, "ये भी देखो, वो भी देखो, देखत-देखत इंतना देखो, मिट जाये धोखा रह जाये एको", भक्तों हमारे आध्यात्मिक गुरुओ में ये गुण अवश्य होने चाहिए " उनका स्वभाव शुद्ध हो, जितेन्द्रिय हो,धन का लालच हो ही नहीं, शास्त्रों का ज्ञाता हो, सत्य तत्व को पा चूका हो, परोपकारी हो,दयालु हो, सत्यवादी हो, शांतिप्रिय हो, योग विद्या में निपुण हो, जिसमे शिष्य के दुर्गुण दूर करने की क्षमता हो, स्त्रियों में अनाशक्त हो, क्षमावान हो, धैर्यशाली हो, चतुर हो, अव्यसनी हो, प्रिय भाषी हो, निष्कपट हो,निर्भय हो, पापों से बिलकुल परे हो, सदाचारी हो, सादगी से रहता हो, धर्मप्रेमी हो, जीवमात्र का सुहृद हो, और शिष्य को पुत्र से भी बढ़ कर चाहता हो, समस्त चराचर जगत के कल्याण के लिए हो," इतने गुणों से युक्त होने से ही संत होकर इस संसार का कल्याण करने की क्षमता प्राप्त होती है",
भक्तों अब विराम और विश्राम का समय हो चुका है, अब आप असली-नकली का निर्णय स्वयं कर सकते हैं, कठिनाईयों और झंझावातों से भरे इस जीवन में शांति का अनुभव कर सकते हैं.
अंधे को अँधा मिला, राह बतावे कौन"
"गुरु सिकलीगर कीजिए, मनहि मस्कला देई
स्वामी ललितानंद जी महाराज
आप सभी उपस्थित भक्तों को स्वामी ललितानंद जी महाराज का आशीष।
गुरु गोविंद दोऊ खड़े .... जय हो गुरुदेव।
ReplyDeleteस्वामी ललितानंद जी महाराज,
ReplyDeleteये तो बता देते बाबाओं के लिए सोमरस या चक्षु-आनंदन वर्जित है या नहीं...
जय हिंद...
स्वामी ललितानंद जी महाराज की जय...
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धन हुआ. अब पहचानने में दिक्कत न होगी. आभार.
आशीर्वाद बनाये रहें बाबा!!
अच्छा चल रहा है .. धर्म का प्रकाश फैलाते रहें !!
ReplyDeleteज्ञानवर्धन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
ReplyDeletedhnya ho babaji !
ReplyDeleteबाबा जी की जय
ReplyDeleteबी एस पाबला
बाबाजी प्रसाद कहाँ से मिलेगा और हुंडी कौन संभाल रहा है
ReplyDeleteबाबा प्रणाम, जय हो बाबा की।
ReplyDeleteबाबा जी अब ये भी बतायें कि ऐसे बाबा कहाँ मिलेंगे आज की इस दुनिया मे? और खुशदीप जी वाला सवाल तो बहुत जरूरी है? धन्यवाद्
ReplyDeleteबाबा ललितानंद महाराज की जय हो. बाबाजी कलेजे मे ठंडक सी पड ज्यावै जब थारे परवचन सुन लेते हैं तो.
ReplyDeleteरामराम.
आश्रम में भक्तों के लिए लंगर का प्रबन्ध नहीं है क्या ?
ReplyDeleteजय हो बाबा की।
ReplyDeleteमां अदा चैतन्य कीर्ति महाराज साहिबा जी को प्रणाम, आपके दर्शन पाकर भक्त धन्य हुए।
ReplyDeleteजय हो बाबा की।
ReplyDeleteवाह बाबा आप भी कहीं बाबा रामदेव की तरह काले धन को ढूँढने में तो नही लग जाओगे न?
ReplyDeleteपानी पियो छान कर, गुरु बनाओ जान कर...jay ho baba ki .....
ReplyDeleteजय हो बाबा........
ReplyDeleteजय हो बाबा........
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