Tuesday, January 12, 2010

बाबा ताऊआनंद प्रवचनमाला भाग -3

प्रिय आत्मन,

आजके सांध्य कालीन सत्र मे आपका स्वागत है. वर्षांत मे सभी बाबा लोग हिमालय पर तपश्चर्या में लीन थे जो कभी भी लौट सकते हैं. तो आईये आज हम आपको एक बहुत ही जरुरी विषय के बारे में बताते हैं.

बाबा ताऊआनंद सांध्यकालीन प्रवचन देते हुये!


अक्सर मनुष्य अपनी भूलों और गल्तियों से ही सबक लेता है. ऐसा इस दुनियां मे कोई भी नही है जो सीखने की इस प्रक्रिया से ना गुजरा हो.

अक्सर आपने लोगों को यह कहते हुये सुना होगा कि अरे, वो तो मेरा मित्र है. चाहे जिसके बारे मे लोग ऐसा सोच लेते हैं और मान लेते हैं कि वो मेरा मित्र है. जबकि उनकी चार दिन की भी पहचान नही होती.

भक्त गणों, हम आपसे स्पष्ट कह देना चाहते हैं कि इस कलयुग मे असली मित्र , पारस पत्थर की तरह दुर्लभ है. आपके जेब मे माल है तब तक आपको मित्रता जताने वाले बहुतायत से मिल जायेंगे. पर सच्चा मित्र मिलना दुर्लभ है. यहां पर आपको ताली मित्र ही मिलेंगे.

यहां और खासकर इस ब्लागिंग की दुनियां मे आपको ऐसे ताली मित्र बहुतायत से मिलेंगे जो सामने पडने पर तो आपकी पीठ ठोकेंगे और बहुत ही शरीफ़ और अभिजात्य नजर आयेंगे. पर यकीन मानिये ये वो ही लोग हैं जो आपकी कब्र भी खोदते हैं. हमारे अनुभव से लाभ लिजिये. हमने प्रत्यक्ष ऐसा देखा है.

हमारा यह मतलब नही है कि आप सबसे दुश्मनी करलें. नही ..बल्कि सभी से प्रेम करिये, प्रेम से बोलिये. अच्छा बर्ताव किजिये , इससे आपको शुकुन ही मिलेगा. पर झटपट ही इसको मित्रता का जामा ना पहनाईये, वर्ना धोखा खायेंगे. यानि आप अपने मन के गुप्त भेद किसी से मत कहिये. क्योंकि अगर आप सक्षम हैं तो आपको बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे जो आपके लिये जान देने का भी दिखावा कर सकते हैं. पर यकीन मानिये वो आपके लिये जान तो क्या देंगे? बल्कि आपकी कब्र अवश्य खोद देगे.

भक्त गणॊं , अब समझदार को इशारा काफ़ी होता है.

आज के लिये इतना ही ..आपका शुभ हो ...कल्याण हो, यही कामना है!

7 comments:

  1. यहां और खासकर इस ब्लागिंग की दुनियां मे आपको ऐसे ताली मित्र बहुतायत से मिलेंगे जो सामने पडने पर तो आपकी पीठ ठोकेंगे और बहुत ही शरीफ़ और अभिजात्य नजर आयेंगे. पर यकीन मानिये ये वो ही लोग हैं जो आपकी कब्र भी खोदते हैं. हमारे अनुभव से लाभ लिजिये. हमने प्रत्यक्ष ऐसा देखा है.

    hmmm संभल कर रहना होगा :) इस महत्वपूर्ण सलाह का बहुत शुक्रिया महाराज.

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  2. अबसे संभल कर चलेंगे बाबा!! आभार ज्ञानवर्धन का..मार्ग दिखाते रहें.

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  3. सत्य वचन गुरुदेव ! अबसे संभलकर ही चलेंगे !

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  4. ज्ञानचक्षु खुले।
    आपके आशीष मिले।
    ऐसे लोगों का क्षय हो
    बाबा की जय हो।

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  5. बाबाजी अपने बारे में कुछ बतायें

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  6. बहुत सही विचार है आपका ...पीठ पर छुरी चलाने वाले अक्सर मित्र ही होते हैं ..मगर क्या किया जाए ...
    दोस्त दुश्मन में फर्क ना कर सकें ऐसे नादान तो हम नहीं
    दोस्त छुप कर वार किया करते हैं ...दुश्मन कलेजा चाक कर दे गम नहीं ...!!

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