Saturday, January 9, 2010

बाबा ताऊआनंद प्रवचनमाला भाग -2

प्रिय आत्मन,
पिछला साल बीत चुका है और नव वर्ष आगया है. आश्रम के सभी बाबा महंत लोग वर्षांत की तपस्या के लिये हिमालय पर्वत पर गये हुये थे. आज नववर्ष के प्रथम प्रवचन मे आपका हार्दिक स्वागत है.

बाबा श्री ताऊआनंद महाराज


इस संसार मे सभी लोग अपने स्वभाव के वशीभूत हैं.  सब अपने को हीरो और दूसरे को जीरो सिद्ध करने पर तुले हैं और उसके लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं.  स्वयम की मान मर्यादा का ही खयाल नही है तो दूसरों के लिये क्या अपेक्षा की जाये?

पानी से अग्नि को शांत किया जा सकता है,  अगर छाता पास में हो तो धूप से बचने की व्यवस्था की जा सकती है,  और डंडा हाथ मे आजाये तो दुष्ट जानवरों से रक्षा हो सकती है,  अंकुश हाथ में हो तो हाथी को भी वश मे किया जा सकता है,   औषधी मिले तो रोग का इलाज किया जा सकता है,  और अगर मंत्र आता हो तो विषेले नागराज के जहर का भी इलाज हो सकता है, शाश्त्र मे इन सबका इलाज है, लेकिन अफ़्सोस है कि मूर्ख और दुष्ट मनुष्य का कोई इलाज नही है.

इसलिये भक्त गणों, अगर अपना कल्याण चाहते हैं तो ऐसे मूर्ख और  दुष्ट व्यक्तियों को पहचाने,  उनसे बचकर रहे और उनसे यथेष्ट  दूरी बना कर रखें.

आज के लिये इतना ही. ईश्वर आप सबका कल्याण करें.

9 comments:

  1. ज्ञानवार्ता के लिये आभार, मुख्य महंत जी. आज के युग के लिए जरुरी संदेश दिया है आपने. जय हो!!

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  2. बाबा ताऊ आनंद महाराज की जय, भगवन आपने आनंद मे रहने का मार्ग बताया-हम आपके आभारी है, जय हो महाराज

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  3. परम श्रधेय बाबाश्री ताऊआनंद महाराज को प्रणाम आपकी दया यूँ ही बनी रहे !!!

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  4. ताऊआनंद महाराज.
    ये एक समय में कई जगह विराजमान होने का वरदान आपको कहां से मिला है... मेरे स्टूडियो में पिछले जन्म के राज़ बताते-बताते स्वामी का रूप भी धारण कर लिया...जितने चोले बदल लो...अब बच नहीं सकते...दुनिया को अपनी सच्चाई बतानी ही पड़ेगी...चाहे आऊं...शाऊं....चाऊं....के गुप्त कोड में ही सही...

    जय हिंद...

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  5. प्रणाम गुरुदेव
    बहुत सटीक , सही और सामयिक बात कही है |
    दुष्ट व्यक्तियों को पहचान कर उनसे दुरी बनाना ही श्रेष्ठ उपाय है इस मन्त्र को अपने आचरण में ढालना ही फायदेमंद रहेगा |

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  6. आपने विषय की मूलभूत अंतर्वस्तु को उसकी समूची विलक्षणता के साथ बोधगम्य बना दिया है। जीवन की सच्चाई को सच साबित करती आपकी मान्यता पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।जय हो।...

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  7. जै हो जी खुशदीप जी ने सब समझा दिया

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  8. चलिये खुमारी तो टूटी 31 दिसंबर की :)

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