प्रिय आत्मन,
जैसा कि आप जानते हैं कि हमने आजकल कुछ भी बोलना छोड दिया है. आज के समय मे किसी को कुछ समझाना " भैंस के आगे बीन" बजाने जैसा है. सो बेहतर यही है कि अपनी बीन ना बजाई जाये. और वैसे भी हम आजकल निजी प्रश्नों के उत्तर नही देते है. सिर्फ़ लोकहितकारी प्रश्न ही प्रश्नोत्तरी सभा में लिये जाते हैं.
बांयी तरफ़ विराजमान हैं..बडे महाराज श्री श्री १००८ समीरानंद नंद जी महाराज
और दांयी तरफ़ विराजमान हैं अर्थ-प्रबंधक बाबा स्वामी महफूज़ानंद जी महाराज
हमारे परम भक्त ललित शर्मा ने एक बहुत ही सुंदर प्रश्न किया था जिसको लोकहित मे जानकर हम यहां जवाब दे रहे हैं. उन्होने पूछा है कि बाबाश्री, आज कल के बालक बहुत ही उदंडता करते हैं ऐसा क्यों?
बाबा श्री का जवाब : प्रिय भक्तगणों, अक्सर देखा गया है कि आजकल बच्चे या मातहत उदंडता करते हैं. और शायद आपको पता भी नही चलता हो कि इसके लिये आप स्वयम दोषी हो सकते हैं. आप पूछेंगे कि यह तो आप उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत लागू कर रहे हैं.
तो भक्तो, आपने एक कहानी सुनी होगी कि - एक राजा अपने लाव लश्कर के साथ यात्रा पर था. एक जगह पडाव डाला गया. भोजन सामग्री में थोडा सा नमक कम पड गया. तो पास के ही गांव से नमक लाने की व्यवस्था करने को कहा गया. और नमक लाने जब आदमी जा रहा था तब राजा ने उसे हिदायत देते हुये कहा कि - देखना जिससे भी नमक लो उसको नमक की कीमत अवश्य अदा करना.
वो आदमी बोला - महाराज, नमक की क्या कीमत होती है? राजा से नमक की कीमत लेते भी लोगों को शर्म लगेगी.
राजा ने कहा - जो राजा बिना कीमत की नमक जैसी छोटी वस्तु गांव वालों से मुफ़्त लेता हैं उसके मातहत सारे गांव को लूट कर खा जाते हैं. और गांव को बर्बाद कर देते हैं. और जो पिता अपने बच्चों के सामने दूसरों की मौज लेता है...दूसरों की बेइज्जती करता है उसके बच्चे भी ऐसा ही करते हैं. क्योंकि वो अपने पिता के चरण चिन्हों पर चलते हैं.
वो आदमी बोला - महाराज आप सही कह रहे हैं. पर ऐसा होता क्यों है?
राजा बोला - पिता, गुरु ये बडे होते हैं. ये जब किसी की मौज लेते हैं तो सामने वाला इनके रुतबे के सामने इनकी बातों का बुरा नही मानता बल्कि प्रसन्न होता है. पर जब इन गुरुओं के बच्चे और चेले चपाटी उन्ही की तर्ज पर बुजुर्गों की मौज लेने लगते हैं तो यह नाकाबिले बर्दाश्त होजाता है. जो बडे बडे मतभेद खडे करवा देते हैं. और पिता और गुरु भी बेटे और चेलों के मोहवश होकर उनको डांट कर समझाने के बजाये उनको प्रोत्साहन देते हैं. तब यह और भी घातक होता है.
तो भक्त गणों आप समझ ही गये होंगे कि बुजुर्गों को मौज लेने के पहले अपने चेले चपाटियों को समझा देना चाहिये कि मौज लेते समय पद की गरिमा और अपनी औकात का ध्यान रखा जाना चाहिये. और बच्चों को बच्चे जैसे ही रहना चाहिये , जबरन बुजुर्गियत का जामा ओढने से उल्टे उनकी खिल्ली ही उडती है.
बच्चे अगर बुजुर्गों जैसी हरकत करें तो हंसी के पात्र ही बनते हैं. भले वो खुद को ज्यादा समझदार समझते हों. दुनियां जानती है कि बच्चे की समझ क्या है?
और बुजुर्ग भी मौज लेने का ध्यान रखें तो बेहतर है. कम से कम अपने बच्चों और चेले चपाटियों में ये संस्कार नही डाले तो बढिया है. ईश्वर अतृप्त लोगों की आत्मा को शांति प्रदान करें...हे ईश्वर इन कुत्सित दिमाग के लोगों में शांति से रहने की भावना भर दो.
अब इन कुत्सित और विघ्न संतोषियों की आत्मशांति के कीर्तन के बाद सब लोग विश्राम के लिये प्रस्थान करेंगे...सुबह का सत्र तीन बजे से शुरु होगा. समय पर पहुंचने का ध्यान रखें क्योंकि कल इन कुत्सित दिमागों के शुद्धिकरण के लिए हवन पूजन होगा.
तो भक्त गणों अब हम थोडे समय के लिये मौन व्रत लेरहे हैं.
अब आज के लिये इतना ही. आपका शुभ हो...कल्याण हो!
हम तो कीर्तन में लगे हैं यह अमृत वाणी सुनकर. कल २.३० बजे से हवन के लिए आ जावेंगे आधे घंटे पहले ही.
ReplyDeleteजय हो बाबा की!!
राजा बोला - पिता, गुरु ये बडे होते हैं. ये जब किसी की मौज लेते हैं तो सामने वाला इनके रुतबे के सामने इनकी बातों का बुरा नही मानता बल्कि प्रसन्न होता है. पर जब इन गुरुओं के बच्चे और चेले चपाटी उन्ही की तर्ज पर बुजुर्गों की मौज लेने लगते हैं तो यह नाकाबिले बर्दाश्त होजाता है. जो बडे बडे मतभेद खडे करवा देते हैं.
ReplyDelete@ राजा ने बहुत ही सटीक और सत्य वचन कहे बाबा !
जय हो गुरुदेव की !!
बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
ReplyDeleteजय हो गुरुदेव की !!
ऎसे वचनामृ्त पान से मन एकदम भावविभोर हो गया....
ReplyDeleteजै हो!!!
बड़ों को मौज लेने से पहले चेले चपाटों को समझा लेना चाहिए ...बहुत सही कहा आपने ....
ReplyDeleteशुद्धिकरण यज्ञ सफल हो ...बहुत शुभकामनायें ...प्रणाम ...!!
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ReplyDeleteनमस्ते बाबा जी आप कि पिछली पोस्ट पर प्रश्न कर बैठी थी सो वहाँ "लघु शंका " इत्यादि कि बाते हुई । सो बड़े ही आदर भाव से पूछ रही हूँ क्या आप के ब्लॉग पर कोई नीति हैं कि केवल कुछ भक्त गण ही आप से बात कर सकते हैं , अगर ऐसा हैं तो चंदे कि राशि बता दे मै चंदा देकर भक्त बन कर कमेन्ट दूँ ताकि लोगो को मल त्याग करने के लिये यहाँ ना आना पडे । कभी कभी लोग राजा बनने के चक्कर मे भांड बन जाते हैं और मीरासियों कि सेना ताली बजाती हैं । एक बार फिर प्रणाम
ReplyDeleteJai Ho Baba ji ki!
ReplyDeleteRegards
Ram Krishna Gautam
interesting blog, i will visit ur blog very often, hope u go for this website to increase visitor.Happy Blogging!!!
ReplyDeleteEk Achha Knowledge Share kiya gaya aapke dwara. Thank You. Padhe love Story, प्यार की बात aur bahut kuch online.
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