Wednesday, February 17, 2010

स्वप्न का रहस्य खोला बाबा ताऊआनंद महाराज ने.

बाबा ताऊआनंद प्रवचनमाला भाग - 5


बाबा समीरानंद जी महाराज और बाबा ताऊआनंद महाराज प्रवचन स्थल की और प्रस्थान करते हुये!


प्रिय आत्मन,

हमने पिछले सत्रों में आपके काफ़ी प्रश्नों के उत्तार दिये हैं. जैसा कि आपको मालूम है हम व्यक्तिगत प्रश्नों के जवाब नही दिया करते. सिर्फ़ लोक हित कारी ऐसे प्रश्नों को ही शामिल करते हैं जो अधिकतम लोगों के लिये हितकारी हों.

प्रश्न :-

एक प्रश्न पुन: परम भक्त श्री ललित शर्मा, का आया है. वो पूछते हैं बाबाश्री आजकल सपनों के बारे मे काफ़ी बातचीत हो रही है. आपके इस विषय में क्या विचार हैं?

उत्तर :-

भक्त जनों, हम आपसे एक प्रतिप्रश्न पूछना चाहेंगे. क्या आप सपने और जागरण का फ़र्क समझते हैं? आप कहेंगे, ये कैसी बाते करते हैं महाराज श्री?

तो भक्त असली उत्तर यहीं पर है आपके प्रश्न का. असल मे साधारण तौर पर देखा जाये तो स्वप्न हमें सोने की अवस्था मे आते हैं. और जागने पर टूट जाते हैं. इसका विश्लेषण आजकल "नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे" श्रंखला में श्री अनुराग शर्मा जी विशद रुप से कर रहे हैं. जहां हमारे वैज्ञानिक मानस के श्री अरविंद मिश्र जी एवम अन्य भक्त गण काफ़ी चर्चा रत हैं. और वहां चर्चा काफ़ी अच्छी चल रही है.

पर भक्त गणों हम आपकी बात से सहमत नही हैं. यानि हमारा कहना ये है कि आप लोग सोते में ही सपना नही देखते बल्कि जागरण की अवस्था मे भी यही काम करते हो. हमारा कहने का अभिप्राय यह है कि आप के सोने और जागने में कोई फ़र्क नही है.

आप सोते में तो सपना देखते ही हो. और जागने में क्या करते हो?

अभी आप यहां सतसंग में बैठे हुये हमारे प्रवचन सुन रहे हैं. परंतु क्या आप यहां समग्र रुप से हैं? नही हैं ना? क्योंकि आपका शरीर तो यहां बैठा सुन रहा है परंतु आपका मन इस समय कहीं और है. आप सोच रहे होंगे...ये बाबाजी भी कहां लेक्चर देने लगे...अभी घर जाना था...घरवाली ने सामान लाने का कहा था...फ़िर पिक्चर जाना था...यानि आपका शरीर यहां और मन कहां? दुसरी जगह है ना...आप मन से यहांबैठे बैठे..दिल्ली, कोलकाता, जर्मनी इंगलैंड, कनाडा हिमालय...यानि कहीं भी हो सकते हैं..

तो ये हुआ आपके जागरण का हाल..यानि आप जागरण मे भी सपने ही देख रहे हो. अब आईये देखें कि नींद में क्या होता है?

नींद मे आपका शरीर तो मान लिजिये दिल्ली मे सोया है पर आप का मन सपने में पहुंच गया..हिमालय, सियाचिन ब्लागर शिविर...या कनाडा, जर्मनी, जापान कहीं भी...और इसको ही आप सपना कहते हैं.

तो क्या फ़र्क हुआ आपके जागने या सोने में? आप तो दोनों ही अवस्थाओं मे स्वप्न का आनंद ले रहे हैं. यानि आपका सोना जागना एक सरीखा हुआ.

सिर्फ़ यहां आपको नींद मे यह पता नही चलता कि आप सपना देख रहे हैं, बल्कि वो आपको हकीकत लगता है. और जागने में आपको यह लगता है कि आप जाग रहे हैं... सपने में आप एक चार फ़िट की गली में ५ फ़ुट चौडी कार दौडा कर जा सकते हैं जबकि जागरण में ऐसा संभव नही है. सपने में आप हवा में उड सकते है, पर जागरण में नही.

इसका एक बारीक भेद है जो हम आपको आगामी कडियों में बतायेंगे. और इस भेद को हमारे विशेष और असली शिष्य ही पकड पायेंगे. जिनको मजे लेना है वो तो जागरण में भी स्वप्न ही देखते रह जायेंगे. और हमारे असली शिष्य इस भेद को समझेंगे. जो हम आगामी प्रवचनों में समझायेंगे.

तो भक्तगणों अब आप थोडे समय के लिये कीर्तन में शामिल हॊं, उसके बाद शयन के लिये प्रस्थान करें, कल सुबह ३:०० बजे के सत्र में पधारना ना भुलें.

सांसारिक बातों को यहां छोडे, यहां आश्रम के माहोल मे थोडा अपना परलोक सुधार लें, शंका कुशंका की यहां कोई गुंजाईश नही है. हम संत लोग हैं, अपनी मर्जी के मालिक हैं. हम आपकी मर्जी से नही चलेंगे.

संतो का काम तो असली शांति की शिक्षा देना है. जो हम दे रहे हैं, लेना ना लेना आपके हाथ है. परमात्मा के यहां से तो रोज अमृत बरस ही रहा है. आप चाहे तो अपने घडे का मूंह सीधा करके उसको भर लें और चाहें तो घडे का मूंह टेढा करले. वो खाली रह जायेगा इसमे परमात्मा या बाबा लोगों का क्या कसूर?

अब आज के लिये इतना ही. आपका शुभ हो...कल्याण हो!

Wednesday, February 10, 2010

दूसरों की मौज लेने से खुद के चेले और बच्चे बिगड जाते हैं : बाबा ताऊआनंद

बाबा ताऊआनंद प्रवचनमाला भाग - 5



प्रिय आत्मन,

जैसा कि आप जानते हैं कि हमने आजकल कुछ भी बोलना छोड दिया है. आज के समय मे किसी को कुछ समझाना " भैंस के आगे बीन" बजाने जैसा है. सो बेहतर यही है कि अपनी बीन ना बजाई जाये. और वैसे भी हम आजकल निजी प्रश्नों के उत्तर नही देते है. सिर्फ़ लोकहितकारी प्रश्न ही प्रश्नोत्तरी सभा में लिये जाते हैं.

भक्तों से मुक्त हस्त दान देने की अपील करते हुये बाबाश्री ताऊआनंद महाराज...
बांयी तरफ़ विराजमान हैं..बडे महाराज श्री श्री १००८ समीरानंद नंद जी महाराज
और दांयी तरफ़ विराजमान हैं अर्थ-प्रबंधक बाबा स्वामी महफूज़ानंद जी महाराज


हमारे परम भक्त ललित शर्मा ने एक बहुत ही सुंदर प्रश्न किया था जिसको लोकहित मे जानकर हम यहां जवाब दे रहे हैं. उन्होने पूछा है कि बाबाश्री, आज कल के बालक बहुत ही उदंडता करते हैं ऐसा क्यों?

बाबा श्री का जवाब : प्रिय भक्तगणों, अक्सर देखा गया है कि आजकल बच्चे या मातहत उदंडता करते हैं. और शायद आपको पता भी नही चलता हो कि इसके लिये आप स्वयम दोषी हो सकते हैं. आप पूछेंगे कि यह तो आप उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत लागू कर रहे हैं.

तो भक्तो, आपने एक कहानी सुनी होगी कि - एक राजा अपने लाव लश्कर के साथ यात्रा पर था. एक जगह पडाव डाला गया. भोजन सामग्री में थोडा सा नमक कम पड गया. तो पास के ही गांव से नमक लाने की व्यवस्था करने को कहा गया. और नमक लाने जब आदमी जा रहा था तब राजा ने उसे हिदायत देते हुये कहा कि - देखना जिससे भी नमक लो उसको नमक की कीमत अवश्य अदा करना.

वो आदमी बोला - महाराज, नमक की क्या कीमत होती है? राजा से नमक की कीमत लेते भी लोगों को शर्म लगेगी.

राजा ने कहा - जो राजा बिना कीमत की नमक जैसी छोटी वस्तु गांव वालों से मुफ़्त लेता हैं उसके मातहत सारे गांव को लूट कर खा जाते हैं. और गांव को बर्बाद कर देते हैं. और जो पिता अपने बच्चों के सामने दूसरों की मौज लेता है...दूसरों की बेइज्जती करता है उसके बच्चे भी ऐसा ही करते हैं. क्योंकि वो अपने पिता के चरण चिन्हों पर चलते हैं.

वो आदमी बोला - महाराज आप सही कह रहे हैं. पर ऐसा होता क्यों है?

राजा बोला - पिता, गुरु ये बडे होते हैं. ये जब किसी की मौज लेते हैं तो सामने वाला इनके रुतबे के सामने इनकी बातों का बुरा नही मानता बल्कि प्रसन्न होता है. पर जब इन गुरुओं के बच्चे और चेले चपाटी उन्ही की तर्ज पर बुजुर्गों की मौज लेने लगते हैं तो यह नाकाबिले बर्दाश्त होजाता है. जो बडे बडे मतभेद खडे करवा देते हैं. और पिता और गुरु भी बेटे और चेलों के मोहवश होकर उनको डांट कर समझाने के बजाये उनको प्रोत्साहन देते हैं. तब यह और भी घातक होता है.

तो भक्त गणों आप समझ ही गये होंगे कि बुजुर्गों को मौज लेने के पहले अपने चेले चपाटियों को समझा देना चाहिये कि मौज लेते समय पद की गरिमा और अपनी औकात का ध्यान रखा जाना चाहिये. और बच्चों को बच्चे जैसे ही रहना चाहिये , जबरन बुजुर्गियत का जामा ओढने से उल्टे उनकी खिल्ली ही उडती है.

बच्चे अगर बुजुर्गों जैसी हरकत करें तो हंसी के पात्र ही बनते हैं. भले वो खुद को ज्यादा समझदार समझते हों. दुनियां जानती है कि बच्चे की समझ क्या है?

और बुजुर्ग भी मौज लेने का ध्यान रखें तो बेहतर है. कम से कम अपने बच्चों और चेले चपाटियों में ये संस्कार नही डाले तो बढिया है. ईश्वर अतृप्त लोगों की आत्मा को शांति प्रदान करें...हे ईश्वर इन कुत्सित दिमाग के लोगों में शांति से रहने की भावना भर दो.

अब इन कुत्सित और विघ्न संतोषियों की आत्मशांति के कीर्तन के बाद सब लोग विश्राम के लिये प्रस्थान करेंगे...सुबह का सत्र तीन बजे से शुरु होगा. समय पर पहुंचने का ध्यान रखें क्योंकि कल इन कुत्सित दिमागों के शुद्धिकरण के लिए हवन पूजन होगा.

तो भक्त गणों अब हम थोडे समय के लिये मौन व्रत लेरहे हैं.

अब आज के लिये इतना ही. आपका शुभ हो...कल्याण हो!